Текст песни Kal Chaudhvin Ki Raat Thi - Live - Ghulam Ali
कल
चौदहवीं
की
रात
थी
शब
भर
रहा
चर्चा
तेरा
कल
चौदहवीं
की
रात
थी
कुछ
ने
कहा
ये
चाँद
है
कुछ
ने
कहा,
चेहरा
तेरा
कल
चौदहवीं
की
रात
थी
हम
भी
वहीँ,
मौजूद
थे
हम
से
भी
सब
पुछा
किए
हम
हंस
दिए,
हम
चुप
रहे
मंज़ूर
था
परदा
तेरा
इस
शहर
में
किस्से
मिलें
हम
से
तो
छूटी
महफिलें
हर
शख्स
तेरा
नाम
ले
हर
शख्स
दीवाना
तेरा
कूचे
को
तेरे
छोड़
कर
जोगी
ही
बन
जायें
मगर
जंगल
तेरे,
पर्वत
तेरे
बस्ती
तेरी,
सेहरा
तेरा
बेदर्द
सुन्नी
हो
तो
चल
कहता
है
क्या
अच्छी
ग़ज़ल
आशिक
तेरा,
रुसवा
तेरा
शायर
तेरा,
इंशा
तेरा
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