Текст песни Bhuka Panchhi Kyoun Chugta Hai - Krishna
भूखा
पंछी
क्यूँ
चुगता
है
एक-एक
दाना?
कोई
समझे
पागल,
कोई
समझे
दीवाना
(दीवाना)
कोई
समझे
पागल,
कोई
समझे
दीवाना
(दीवाना)
तड़प-तड़प
जलता
है
समां
के
संग
परवाना
कोई
समझे
पागल,
कोई
समझे
दीवाना
(दीवाना)
कोई
समझे
पागल,
कोई
समझे
दीवाना
मौसम
बदले
तो
मन
बदले
बदला
लगे
नज़ारा
बदले-बदले
अरमाँ
का
होता
है
एक
इशारा
हो,
मौसम
बदले
तो
मन
बदले
बदला
लगे
नज़ारा
बदले-बदले
अरमाँ
होता
है
एक
इशारा
कोयले
में
ही
मिलता
है
हीरे
का
ठिकाना
कोई
समझे
पागल,
कोई
समझे
दीवाना
(दीवाना)
कोई
समझे
पागल,
कोई
समझे
दीवाना
खिल
के
कमल
कीचड़
में
है,
जी
भवरों
का
ललचाये
कोई
पाके
जश्न
करे,
कोई
चाह
लिए
मंडराये
हो,
खिल
के
कमल
कीचड़
में
है,
जी
भवरों
का
ललचाये
कोई
पाके
जश्न
करे,
कोई
चाह
लिए
मंडराये
प्यासा
बीच
समंदर
में
डूब
के
मर
जाना
कोई
समझे
पागल,
कोई
समझे
दीवाना
(दीवाना)
कोई
समझे
पागल,
कोई
समझे
दीवाना
रात
में
चाँद
के
साथ
हैं
तारे,
दिन
में
सूरज
तन्हा
रात
हो
चाहे
दिन
हो
रहे,
हर
दम
एक
सा
हर
लम्हा
हो,
रात
में
चाँद
के
साथ
है
तारे,
दिन
में
सूरज
तन्हा
रात
हो
चाहे
दिन
हो
रहे,
हर
दम
एक
सा
हर
लम्हा
जले
जो
धरती
अम्बर
पे
बदल
का
छाना
कोई
समझे
पागल,
कोई
समझे
दीवाना
(दीवाना)
कोई
समझे
पागल,
कोई
समझे
दीवाना
(दीवाना)
भूखा
पंछी
क्योँ
चुगता
है
एक-एक
दाना?
कोई
समझे
पागल,
कोई
समझे
दीवाना
(दीवाना)
कोई
समझे
पागल,
कोई
समझे
दीवाना
(दीवाना)
तड़प-तड़प
जलता
है
समां
के
संग
परवाना
कोई
समझे
पागल,
कोई
समझे
दीवाना
(दीवाना)
कोई
समझे
पागल,
कोई
समझे
दीवाना
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