Lata Mangeshkar & Manna Dey - Chunri Sambhal Gori - From "Baharon Ke Sapne" текст песни

Текст песни Chunri Sambhal Gori - From "Baharon Ke Sapne" - Lata Mangeshkar , Manna Dey



चुनरी सम्भाल गोरी, उड़ी चली जाए रे
मार दे डंक कहीं, नज़र कोई हाय
देख देख पग फिसल जाए रे
फिसलें नहीं चल के, कभी दुख की डगर पे
ठोकर लगे हँस दें, हम बसने वाले, दिल के नगर के
अरे, हर कदम बहक के सम्भल जाए रे!
किरणें नहीं अपनी, तो है बाहों का सहारा
दीपक नहीं जिन में, उन गलियों में है हमसे उजाले
अरे, भूल ही से चाँदनी खिल जाए रे!
पल छिन पिया पल छिन, अँखियों का अंधेरा
रैना नहीं अपनी, पर अपना होगा कल का सवेरा
अरे, रैन कौन सी जो ढल जाए रे!



Авторы: RAHUL DEV BURMAN


Lata Mangeshkar & Manna Dey - The Classic Burmans, Vol. 1
Альбом The Classic Burmans, Vol. 1
дата релиза
15-05-2014




Внимание! Не стесняйтесь оставлять отзывы.