Текст песни Chunri Sambhal Gori - From "Baharon Ke Sapne" - Lata Mangeshkar , Manna Dey
चुनरी सम्भाल गोरी, उड़ी चली जाए रे
मार न दे डंक कहीं, नज़र कोई हाय
देख देख पग न फिसल जाए रे
फिसलें नहीं चल के, कभी दुख की डगर पे
ठोकर लगे हँस दें, हम बसने वाले, दिल के नगर के
अरे, हर कदम बहक के सम्भल जाए रे!
किरणें नहीं अपनी, तो है बाहों का सहारा
दीपक नहीं जिन में, उन गलियों में है हमसे उजाले
अरे, भूल ही से चाँदनी खिल जाए रे!
पल छिन पिया पल छिन, अँखियों का अंधेरा
रैना नहीं अपनी, पर अपना होगा कल का सवेरा
अरे, रैन कौन सी जो न ढल जाए रे!

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