Текст песни Jaoon Kahan - Rahat Fateh Ali Khan
कब
से
उसको
ढूँढता
हूँ,
भीगी
पलकों
से
यहाँ
अब
ना
जाने
वो
कहाँ
है,
था
जो
मेरा
आशियाँ
कब
से
उसको
ढूँढता
हूँ,
भीगी
पलकों
से
यहाँ
अब
ना
जाने
वो
कहाँ
है,
था
जो
मेरा
आशियाँ
ਰੱਬਾ
मेरे,
मुझको
बता,
हाय
दी
मुझे
क्यूँ
ये
सज़ा?
अब
सारे
बंधन
तोड़
के,
यादों
को
तनहा
छोड़
के
मैं
ग़म
से
रिश्ता
जोड़
के
जाऊँ
कहाँ?
अब
सारे
बंधन
तोड़
के,
यादों
को
तनहा
छोड़
के
मैं
ग़म
से
रिश्ता
जोड़
के
जाऊँ
कहाँ?
(ਓ,
ਮਾਹੀਆਂ,
ਮਾਹੀਆਂ,
ਮਾਹੀਆਂ)
एक
छोटा
सा
जहाँ
था
चंद
ख़ुशियों
से
भरा
उसको
मुझसे
छीन
कर
है
मिल
गया
तुझको
भी
क्या?
हो,
एक
छोटा
सा
जहाँ
था
चंद
ख़ुशियों
से
भरा
उसको
मुझसे
छीन
कर
है
मिल
गया
तुझको
भी
क्या?
अब
है
फ़क़त
सिर्फ़
जाँ
कर
दूँ
मैं
वो
भी
अता
अब
सारे
बंधन
तोड़
के,
यादों
को
तनहा
छोड़
के
मैं
ग़म
से
रिश्ता
जोड़
के
जाऊँ
कहाँ?
अब
सारे
बंधन
तोड़
के,
यादों
को
तनहा
छोड़
के
मैं
ग़म
से
रिश्ता
जोड़
के
जाऊँ
कहाँ?
वक़्त
के
कितने
निशाँ
हैं
ज़र्रे-ज़र्रे
में
यहाँ
दोस्तों
के
साथ
के
पल
कुछ
हसीं,
कुछ
ग़मज़दा
वक़्त
के
कितने
निशाँ
हैं
ज़र्रे-ज़र्रे
में
यहाँ
दोस्तों
के
साथ
के
पल
कुछ
हसीं,
कुछ
ग़मज़दा
सब
हुआ
अब
तो
फ़ना
बस
रहा
बाक़ी
धुआँ
अब
सारे
बंधन
तोड़
के,
यादों
को
तनहा
छोड़
के
मैं
ग़म
से
रिश्ता
जोड़
के
जाऊँ
कहाँ?
अब
सारे
बंधन
तोड़
के,
यादों
को
तनहा
छोड़
के
मैं
ग़म
से
रिश्ता
जोड़
के
जाऊँ
कहाँ?
कब
से
उसको
ढूँढता
हूँ,
भीगी
पलकों
से
यहाँ
अब
ना
जाने
वो
कहाँ
है,
था
जो
मेरा
आशियाँ
ਰੱਬਾ
मेरे,
मुझको
बता,
हाय
दी
मुझे
क्यूँ
ये
सज़ा?
अब
सारे
बंधन
तोड़
के,
यादों
को
तनहा
छोड़
के
मैं
ग़म
से
रिश्ता
जोड़
कर
जाऊँ
कहाँ?
अब
सारे
बंधन
तोड़
के,
यादों
को
तनहा
छोड़
के
मैं
ग़म
से
रिश्ता
जोड़
के
जाऊँ
कहाँ?
अब
सारे
बंधन
तोड़
के,
यादों
को
तनहा
छोड़
के
मैं
ग़म
से
रिश्ता
जोड़
कर
जाऊँ
कहाँ?
अब
सारे
बंधन
तोड़
के,
यादों
को
तनहा
छोड़
के
मैं
ग़म
से
रिश्ता
जोड़
के
जाऊँ
कहाँ?
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