Songtexte Megha Chhaye Aadhi Raat - Lata Mangeshkar
                                                मेघा 
                                                छाये 
                                                आधी 
                                                रात, 
                                                बैरन 
                                                बन 
                                                गई 
                                                निंदिया
 
                                    
                                
                                                मेघा 
                                                छाये 
                                                आधी 
                                                रात, 
                                                बैरन 
                                                बन 
                                                गई 
                                                निंदिया
 
                                    
                                
                                                बता 
                                                दे 
                                                मैं 
                                                क्या 
                                                करू?
 
                                    
                                
                                                मेघा 
                                                छाये 
                                                आधी 
                                                रात, 
                                                बैरन 
                                                बन 
                                                गई 
                                                निंदिया
 
                                    
                                
                                                सबके 
                                                आँगन 
                                                दीया 
                                                जले 
                                                रे, 
                                                मोरे 
                                                आँगन 
                                                जिया
 
                                    
                                
                                                हवा 
                                                लागे 
                                                शूल 
                                                जैसी 
                                                ताना 
                                                मारे 
                                                चुनरीयाँ
 
                                    
                                
                                                सबके 
                                                आँगन 
                                                दीया 
                                                जले 
                                                रे, 
                                                मोरे 
                                                आँगन 
                                                जिया
 
                                    
                                
                                                हवा 
                                                लागे 
                                                शूल 
                                                जैसी 
                                                ताना 
                                                मारे 
                                                चुनरीयाँ
 
                                    
                                
                                                आयी 
                                                हैं 
                                                आँसू 
                                                की 
                                                बारात, 
                                                बैरन 
                                                बन 
                                                गई 
                                                निंदिया
 
                                    
                                
                                                बता 
                                                दे 
                                                मैं 
                                                क्या 
                                                करू?
 
                                    
                                
                                                मेघा 
                                                छाये 
                                                आधी 
                                                रात, 
                                                बैरन 
                                                बन 
                                                गई 
                                                निंदिया
 
                                    
                                
                                                रूठ 
                                                गए 
                                                रे 
                                                सपने 
                                                सारे, 
                                                टूट 
                                                गई 
                                                रे 
                                                आशा
 
                                    
                                
                                                नैन 
                                                बहे 
                                                रे 
                                                गंगा 
                                                मोरे 
                                                फ़िर 
                                                भी 
                                                मन 
                                                हैं 
                                                प्यासा
 
                                    
                                
                                                रूठ 
                                                गए 
                                                रे 
                                                सपने 
                                                सारे, 
                                                टूट 
                                                गई 
                                                रे 
                                                आशा
 
                                    
                                
                                                नैन 
                                                बहे 
                                                रे 
                                                गंगा 
                                                मोरे 
                                                फ़िर 
                                                भी 
                                                मन 
                                                हैं 
                                                प्यासा
 
                                    
                                
                                                किसे 
                                                कहूँ 
                                                रे 
                                                मन 
                                                की 
                                                बात? 
                                                बैरन 
                                                बन 
                                                गई 
                                                निंदिया
 
                                    
                                
                                                बता 
                                                दे 
                                                मैं 
                                                क्या 
                                                करू?
 
                                    
                                
                                                मेघा 
                                                छाये 
                                                आधी 
                                                रात, 
                                                बैरन 
                                                बन 
                                                गई 
                                                निंदिया
 
                                    
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