Lyrics Jab Tere Sheher Se - Ali Zafar
तेरी
रुसवाइयों
से
डरता
हूँ
जब
तेरे
शहर
से
गुज़रता
हूँ
जब
तेरे
शहर
से
गुज़रता
हूँ
हाल-ए-दिल
भी
ना
कह
सका
गरचे
तू
रही
मुद्दतों
करीब
मेरे
तू
मुझे
छोड़
कर
चली
भी
गयी
तू
मुझे
छोड़
कर
चली
भी
गयी
खैर,
किस्मत
मेरी,
नसीब
मेरे
अब
मै
क्यों
तुझ
को
याद
करता
हूँ
जब
तेरे
शहर
से
गुज़रता
हूँ
जब
तेरे
शहर
से
गुज़रता
हूँ
कोइ
पुरसान-ए-हाल
हो
तो
कहूं
कोइ
पुरसान-ए-हाल
हो
तो
कहूं
कैसी
आंधी
चली
है
तेरे
बाद
दिन
गुज़ारा
है
किस
तरह
मैंने
रात
कैसे
ढली
है
तेरे
बाद
रोज़
जीता
हूँ,
रोज़
मरता
हूँ
जब
तेरे
शहर
से
गुज़रता
हूँ
जब
तेरे
शहर
से
गुज़रता
हूँ
वो
ज़माना
तेरी
मोहब्बत
का
वो
ज़माना
तेरी
मोहब्बत
का
एक
भूली
हुयी
कहानी
है
किस
तमन्ना
से
तुझ
को
चाहा
था
किस
मोहब्बत
से
हार
मानी
है
अपनी
किस्मत
पे
नाज़
करता
हूँ
जब
तेरे
शहर
से
गुज़रता
हूँ
अब
में
क्यूँ
तुझ
को
याद
करता
हूँ
जब
तेरे
शहर
से
गुज़रता
हूँ
रोज़
जीता
हूँ,
रोज़
मरता
हूँ
जब
तेरे
शहर
से
गुज़रता
हूँ
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