Lyrics Khul Kabhi Toh - Arijit Singh
खुल कभी तो, खुल कभी कहीं
मैं आसमाँ, तू मेरी ज़मीन
बूँद-बूँद बरसूँ मैं
पानी-पानी खेलूँ-खेलूँ और बह जाऊँ
गीले-गीले होठों को मैं
बारिश से चूमूँ-चूमूँ और कह जाऊँ
तू ज़मीन है, तू मेरी ज़मीन
खुल कभी तो, खुल कभी कहीं
मैं आसमाँ, तू मेरी ज़मीन
लब तेरे यूँ खुले जैसे हर्फ़ थे
होंठ पर यूँ घुले जैसे बर्फ थे
आना ज़रा-ज़रा मैं हौले-हौले
साँस-सांँस सेंक दूँ तुझे
लब तेरे यूँ खुले जैसे हर्फ़ थे
होंठ पर यूँ घुले जैसे बर्फ थे
तू ही तू है, मैं कहीं नहीं
हम्म, खुल कभी तो, खुल कभी कहीं
हम्म, मैं आसमाँ, तू मेरी ज़मीन
झुक के जब झुमका मैं चूम रहा था
देर तक गुलमोहर झूम रहा था
जलके मैं सोचता था
गुलमोहर की आग ही में, फ़ेंक दूँ तुझे
झुक के जब झुमका मैं झुम रहा था
देर तक गुलमोहर झूम रहा था
तू मेरी कसम, तू मेरा यक़ीन
खुल कभी तो, खुल कभी कहीं
मैं आसमाँ, तू मेरी ज़मीन
बूँद-बूँद बरसूँ मैं
पानी-पानी खेलूंँ-खेलूँ और बह जाऊँ
हम्म, गीले-गीले होठों को मैं
बारिश से चूमूँ-चूमूँ और कह जाऊँ

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