Lyrics Om Jai Jagdish Hare (Aarti) - Lata Mangeshkar
जय
जगदीश
हरे
स्वामी
जय
जगदीश
हरे
भक्त
जनों
के
संकट
दास
जनों
के
संकट
क्षण
में
दूर
करे
ॐ
जय
जगदीश
हरे
जो
ध्यावे
फल
पावे
दुःखबिन
से
मन
का
स्वामी
दुःखबिन
से
मन
का
सुख
सम्पति
घर
आवे
सुख
सम्पति
घर
आवे
कष्ट
मिटे
तन
का
ॐ
जय
जगदीश
हरे
मात
पिता
तुम
मेरे
शरण
गहूं
किसकी
स्वामी
शरण
गहूं
मैं
किसकी
तुम
बिन
और
न
दूजा
तुम
बिन
और
न
दूजा
आस
करूं
मैं
जिसकी
ॐ
जय
जगदीश
हरे
तुम
पूरण
परमात्मा,
तुम
अन्तर्यामी
स्वामी
तुम
अन्तर्यामी
पारब्रह्म
परमेश्वर
पारब्रह्म
परमेश्वर
तुम
सब
के
स्वामी
ॐ
जय
जगदीश
हरे
तुम
करुणा
के
सागर
तुम
पालनकर्ता
स्वामी
तुम
पालनकर्ता
मैं
मूरख
फलकामी
मैं
मूरख
फलकामी
कृपा
करो
भर्ता
ॐ
जय
जगदीश
हरे
तुम
हो
एक
अगोचर
सबके
प्राणपति
स्वामी
सबके
प्राणपति
किस
विधि
मिलूं
गोसाई
किस
विधि
मिलूं
गोसाई
तुमको
मैं
कुमति
ॐ
जय
जगदीश
हरे
दीन-बन्धु
दुःख-हर्ता
ठाकुर
तुम
मेरे
स्वामी
ठाकुर
तुम
मेरे
अपने
हाथ
बढाओ
अपने
हाथ
बढाओ
द्वार
पड़ा
तेरे
ॐ
जय
जगदीश
हरे
विषय-विकार
मिटाओ,
पाप
हरो
देवा
स्वमी
पाप
हरो
देवा
श्रद्धा
भक्ति
बढ़ाओ
श्रद्धा
भक्ति
बढ़ाओ
सन्तन
की
सेवा
ॐ
जय
जगदीश
हरे
जय
जगदीश
हरे
स्वामी
जय
जगदीश
हरे
भक्त
जनों
के
संकट
दास
जनों
के
संकट
क्षण
में
दूर
करे
ॐ
जय
जगदीश
हरे
ॐ
जय
जगदीश
हरे
ॐ
जय
जगदीश
हरे
Attention! Feel free to leave feedback.