Arijit Singh - Kya Pataa (From "Drishyam") paroles de chanson

paroles de chanson Kya Pataa (From "Drishyam") - Arijit Singh




खामोश रहने से दम घुटता है
और बोलने से ज़ुबाँ छिलती है
डर लगता है नंगे पाँव मुझे
कोई कब्र पाँव तले हिलती है
परेशान हूँ ज़िन्दगी से
क्या पता, कब, कहाँ से मारेगी ज़िन्दगी
क्या पता, कब, कहाँ से मारेगी ज़िन्दगी
बस के मैं ज़िन्दगी से डरता हूँ
बस के मैं ज़िन्दगी से डरता हूँ
मौत का क्या है एक बार मारेगी
धूल उड़ने लगती है जब शाम की
सब काँच भर जाते हैं दर्द से
मैं डरता हूँ, मैं डरता हूँ
दिल जब धड़कने से थकने लगे
नींद आने लगती है तब दर्द से
अनजान हूँ ज़िन्दगी से
क्या पता, कब, कहाँ से मारेगी ज़िन्दगी
बस के मैं ज़िन्दगी से डरता हूँ
बस के मैं ज़िन्दगी से डरता हूँ
मौत का क्या है एक बार मारेगी



Writer(s): VISHAL BHARDWAJ, GULZAR


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