paroles de chanson Abhi Ishq Likhne Ka Dil Nhi hai - Prashant Beybaar
मैं
कोशिशें
हज़ार
करता
हूँ
मगर
रूह
है
कि
सिहर
जाती
है
नज़र
है
कि
ठहर
जाती
है
सिग्नल
पे
खड़े
उस
नंगे
बच्चे
पे
जो
कार
के
शीशे
पार
से
बेच
रहा
है
आज़ादी
तेरे
ख़यालों
में
डूबकर
एक
ग़ज़ल
बुननी
थी
मुहब्बत
में
पड़कर
आशिक़
की
राह
चुननी
थी
मगर
ज़हन
की
छत
है
कि
टपक
रही
है
टीस
की
धूरी
लपक
रही
है
और
बन
रहीं
हैं
तस्वीरें
बेहिसाब
हैं
तस्वीरें,
बेवा
औरत
के
ज़र्द
चेहरे
की
यतीम
बूढ़ी
आँख
में
कोहरे
की
रोज़मर्रा
के
फंदे
में,
जीवन
के
मोहरे
की
एक
नौवीं
की
लड़की
जो
भटक
रही
है
एक
औरत
जो
कोठे
पे
तड़प
रही
है
चूल्हे
और
बिस्तर
के
बीच
में
बीवी
धीरे
धीरे
सदियों
से
सरक
रही
है
और
भी
कोफ़्त
टटोलती
तस्वीरें
हैं
यहाँ
मैं
हुस्न-ओ-इश्क़
लिखूँ
तो
कैसे,
कि
हस्पताल
में
घाव
लिए
मरीज़ों
की
कमी
नहीं
है
यहाँ
शहीदों
की
मौत
पे
आँखों
में
नमी
नहीं
है
बस
किसानों
तक
जो
कभी
पहुँची
नहीं
वो
तरक्की
काग़ज़ों
में
थमी
नहीं
है
कूड़ेदान
में
कपड़े-जूते
और
पुराने
सेलफ़ोन
के
नीचे
हथेली
भर
की
बच्ची
की
ठंडी
लाश
छुपी
है
एक
परियों
की
रानी
सच्चे
प्यार
की
ख़ातिर
अपनी
इज़्ज़त
अपना
यक़ीं,
धोखे
में
गँवा
चुकी
है
दिल
सुलग
जाता
है
मन
बिखर
जाता
है
देखकर,
कि
'वीमन
एम्पावरमेंट'
वाले
शहर
के
भीतर
बड़े
फ्लाईओवर
और
भीड़
की
नज़रों
से
होकर
लक्ष्मी
तेज़ाब
से
अब
भी
झुलस
रही
है
सरकारी
फ़ाइलों
में
खोई
वो
चप्पल
सालों
से
अब
तक
घिसट
रही
है
और
भी
शय
हैं
दुनिया
में
मौजूद
मेरा
दोस्त
जो
कैंसर
से
घुट
घुट
के
लड़ता
है
एक
बाप
घर
खर्च
की
ख़ातिर
ख़ुद
से
झगड़ता
है
घर
के
पड़ोस
में
कल
ही
'लिनचिंग'
हुई
है
ख़बरें
कहती
हैं
सब
क़ाबू
है,
कैसी
'चीटिंग'
हुई
है
हीर-रांझा
के
हिज्र
का
दर्द
यक़ीनन
है
भारी
जिसमें
तिनके
भर
का
भी
मुझको
भरम
नहीं
है
मगर
फुटपाथ
पे
सिकुड़ते
पेट
की
भूख
के
आगे
जिसका
जवान
बेटा
मरा
हो,
उस
माँ
की
हूक
के
आगे
उस
महबूब
की
जुदाई
की
कचोट
कुछ
भी
नहीं
है,
कुछ
भी
नहीं
है
और
इन
सब
के
बीच
में
मुहब्बत
की
बातें
गुलाब
ओढ़े
सवेरे,
लिली
फ्लावर
की
रातें
हाँ,
मगर
बात
ये
भी
सही
है
कि
तेरी
हुस्न-ओ-अदा
से
कभी
दिल
नहीं
भरता
तेरी
याद
के
दरिया
में
डूबा
मन
नहीं
उबरता
मगर
ज़माने
में
और
भी
दर्द
बचे
हैं
हर
चुप्पी
के
पीछे
अफ़साने
दबे
हैं
क़लम
झुक
जाती
है
मेरी
उन
बेज़ुबानों
की
जानिब
जिनके
गूंगे
फ़साने
किसी
से
सुने
नहीं
हैं
मगर,
ऐ
हुस्न-ए-जानां
धुएं
में
आग
न
उकेरना
तुम
मेरी
बेरया
मुहब्बत
से
कभी
मुँह
न
फेरना
ऐसा
नहीं
है
कि
मुझे
प्यार
हासिल
नहीं
है
ऐसा
भी
नहीं
कि
दिल
दोस्ती
मुमकिन
नहीं
है
मगर,
अभी
इश्क़
लिखने
का
दिल
नहीं
है
अभी
नहीं
है,
अभी
नहीं
है।

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