Bombay Jayashri - Mamta Se Bhari текст песни

Текст песни Mamta Se Bhari - Bombay Jayashri




ममता से भरी तुझे छाओं मिली
जुग जुग जीना तू बाहुबली
है जहाँ विष और अमृत भी
मन वो मंथन स्थली
महिष मति का वंशज वो
जिसे कहते बाहुबली
रणमें वो ऐसे टूटे
जैसे टूटे कोई बिजली
है जहाँ विष और अमृत भी
मन वो मंथन स्थली
तलवारें जब वो लेहरायए
छात्र भिन्न् मस्तक हो जाए
शत्रु दल ये सोच पाए
जाएं बचके कहाँ
माता है भाग्य विधाता
मला साथी केहलाता
ऐसा अध्भुत वो राजा
सबका मन जो जीते
शाशन वही शिवगामी कहे जो
रण धर धरम का
मन में छलता हर क्षण
है जहाँ विष और अमृत भी
मन वो मंथन स्थली



Авторы: MANOJ MUNTASHIR, MM KREEM


Внимание! Не стесняйтесь оставлять отзывы.
//}