Mukesh - Main Aashiq Hoon Baharon Ka текст песни

Текст песни Main Aashiq Hoon Baharon Ka - Mukesh




मैं आशिक हूँ बहारों का, नज़ारों का, फिजाओं का, इशारों का
मैं मस्ताना मुसाफिर हूँ
जवाँ धरती के अनजाने किनारों का
सदियों से जग में आता रहा मैं
नये रंग जीवन में लाता रहा मैं
हर एक देस में, नीत नये भेस में
कभी मैने हँस के दीपक जलाये
कभी बन के बादल आँसू बहाये
मेरा रास्ता, प्यार का रास्ता
चला गर सफ़र को कोई बेसहारा
तो मैं हो लिया संग लिये एकतारा
गाता हुआ, दु: भूलाता हुआ



Авторы: JAIKSHAN SHANKAR, SHAILENDRA, SHANKAR JAIKISHAN


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