Текст песни Shree Ram Chandra Kripalu Bhajmana - Studio - Rattan Mohan Sharma
श्री
रामचन्द्र
कृपालु
भजुमन
हरण
भवभय
दारुणं
।
नव
कंज
लोचन
कंज
मुख
कर
कंज
पद
कंजारुणं
॥१॥
कन्दर्प
अगणित
अमित
छवि
नव
नील
नीरद
सुन्दरं
।
पटपीत
मानहुँ
तडित
रुचि
शुचि
नोमि
जनक
सुतावरं
॥२॥
भजु
दीनबन्धु
दिनेश
दानव
दैत्य
वंश
निकन्दनं
।
रघुनन्द
आनन्द
कन्द
कोशल
चन्द
दशरथ
नन्दनं
॥३॥
शिर
मुकुट
कुंडल
तिलक
चारु
उदारु
अङ्ग
विभूषणं
।
आजानु
भुज
शर
चाप
धर
संग्राम
जित
खरदूषणं
॥४॥
इति
वदति
तुलसीदास
शंकर
शेष
मुनि
मन
रंजनं
।
मम्
हृदय
कंज
निवास
कुरु
कामादि
खलदल
गंजनं
॥५॥
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