Текст песни Kaanch Ke - Samira Koppikar
बदला
नज़रिया
है
नज़रें
और
नज़ारें
हैं
वहीं
कल
की
बातों
पे
आज
हमको
क्यूँ
आती
है
फिर
भी
अब
हँसी?
दीवानेपन
की
इम्तिहाँ
थे
तुम
हाँ,
खालीपन
की
भी
दवा
थे
तुम
वो
असर
चाहतों
के
ना
रहे
वादें
तेरे-मेरे
काँच
के,
पल-पल
की
धूप
के,
छाँव
के
बिखरे
हैं
टूट
के,
ना
सह
सके
वादें
वो
काँच
के
होगे
साथ
तुम,
होगी
जब
शाम-ए-ज़िन्दगी
नादाँ
ख़ाब
था
नींद
से
जब
आँखें
खुली
ऐ
काश
के
हम
ख़ाब
में
ही
जी
लेते
पहलू
में
तेरे
साँस
आखरी
भी
लेते
लगा
के
ताने
पलकों
में
हम-तुम
उन
रास्तों
पे
हो
जाते
जो
ग़ुम
जाग
के
किस
जहाँ
में
आ
गए
वादें
तेरे-मेरे
काँच
के,
पल-पल
की
धूप
के,
छाँव
के
बिखरे
हैं
टूट
के,
ना
सह
सके
वादें
वो
काँच
के
वादें
तेरे-मेरे
काँच
के,
पल-पल
की
धूप
के,
छाँव
के
बिखरे
हैं
टूट
के,
ना
सह
सके
वादें
वो
काँच
के
![Samira Koppikar - Kaanch Ke - Single](https://pic.Lyrhub.com/img/k/y/c/j/ct0zd8jcyk.jpg)
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