Текст песни Main Shair To Nahin (From "Bobby") - Shailendra Singh
                                                मैं 
                                                शायर 
                                                तो 
                                                नहीं...
 
                                    
                                
                                                मैं 
                                                शायर 
                                                तो 
                                                नहीं, 
                                                मगर, 
                                                    ऐ 
                                                हसीं
 
                                    
                                
                                                जब 
                                                से 
                                                देखा 
                                                मैंने 
                                                तुझको, 
                                                मुझको 
                                                शायरी 
                                                    आ 
                                                गई
 
                                    
                                
                                                मैं 
                                                शायर 
                                                तो 
                                                नहीं, 
                                                मगर, 
                                                    ऐ 
                                                हसीं
 
                                    
                                
                                                जब 
                                                से 
                                                देखा 
                                                मैंने 
                                                तुझको, 
                                                मुझको 
                                                शायरी 
                                                    आ 
                                                गई
 
                                    
                                
                                                मैं 
                                                आशिक़ 
                                                तो 
                                                नहीं, 
                                                मगर, 
                                                    ऐ 
                                                हसीं
 
                                    
                                
                                                जब 
                                                से 
                                                देखा 
                                                मैंने 
                                                तुझको, 
                                                मुझको 
                                                आशिक़ी 
                                                    आ 
                                                गई
 
                                    
                                
                                                मैं 
                                                शायर 
                                                तो 
                                                नहीं...
 
                                    
                                
                                                प्यार 
                                                का 
                                                नाम 
                                                मैंने 
                                                सुना 
                                                था, 
                                                मगर
 
                                    
                                
                                                प्यार 
                                                क्या 
                                                है, 
                                                ये 
                                                मुझको 
                                                को 
                                                नहीं 
                                                थी 
                                                ख़बर
 
                                    
                                
                                                प्यार 
                                                का 
                                                नाम 
                                                मैंने 
                                                सुना 
                                                था, 
                                                मगर
 
                                    
                                
                                                प्यार 
                                                क्या 
                                                है, 
                                                ये 
                                                मुझको 
                                                को 
                                                नहीं 
                                                थी 
                                                ख़बर
 
                                    
                                
                                                मैं 
                                                तो 
                                                उलझा 
                                                रहा 
                                                उलझनों 
                                                की 
                                                तरह
 
                                    
                                
                                                दोस्तों 
                                                में 
                                                रहा 
                                                दुश्मनों 
                                                की 
                                                तरह
 
                                    
                                
                                                मैं 
                                                दुश्मन 
                                                तो 
                                                नहीं...
 
                                    
                                
                                                मैं 
                                                दुश्मन 
                                                तो 
                                                नहीं, 
                                                मगर, 
                                                    ऐ 
                                                हसीं
 
                                    
                                
                                                जब 
                                                से 
                                                देखा 
                                                मैंने 
                                                तुझको, 
                                                मुझको 
                                                दोस्ती 
                                                    आ 
                                                गई
 
                                    
                                
                                                मैं 
                                                शायर 
                                                तो 
                                                नहीं...
 
                                    
                                
                                                सोचता 
                                                हूँ, 
                                                अगर 
                                                मैं 
                                                दुआ 
                                                माँगता
 
                                    
                                
                                                हाथ 
                                                अपने 
                                                उठा 
                                                कर 
                                                मैं 
                                                क्या 
                                                माँगता?
 
                                    
                                
                                                सोचता 
                                                हूँ, 
                                                अगर 
                                                मैं 
                                                दुआ 
                                                माँगता
 
                                    
                                
                                                हाथ 
                                                अपने 
                                                उठा 
                                                कर 
                                                मैं 
                                                क्या 
                                                माँगता?
 
                                    
                                
                                                जब 
                                                से 
                                                तुझसे 
                                                मोहब्बत 
                                                मैं 
                                                करने 
                                                लगा
 
                                    
                                
                                                तब 
                                                से 
                                                जैसे 
                                                इबादत 
                                                मैं 
                                                करने 
                                                लगा
 
                                    
                                
                                                मैं 
                                                क़ाफ़िर 
                                                तो 
                                                नहीं...
 
                                    
                                
                                                मैं 
                                                क़ाफ़िर 
                                                तो 
                                                नहीं, 
                                                मगर, 
                                                    ऐ 
                                                हसीं
 
                                    
                                
                                                जब 
                                                से 
                                                देखा 
                                                मैंने 
                                                तुझको, 
                                                मुझको 
                                                को 
                                                बंदगी 
                                                    आ 
                                                गई
 
                                    
                                
                                                मैं 
                                                शायर 
                                                तो 
                                                नहीं, 
                                                मगर, 
                                                    ऐ 
                                                हसीं
 
                                    
                                
                                                जब 
                                                से 
                                                देखा 
                                                मैंने 
                                                तुझको, 
                                                मुझको 
                                                शायरी 
                                                    आ 
                                                गई
 
                                    
                                
                                                मैं 
                                                शायर 
                                                तो 
                                                नहीं...
 
                                    
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