Sonu Nigam - Main Zinda Hoon текст песни

Текст песни Main Zinda Hoon - Sonu Nigam




साथियों, साथियों
आख़री बार क्या कह रहा हूँ, सुनो
हो सके तो सुनो
मैंने अपने गर्म लहू से वक़्त के बर्फ़ीले काग़ज़ पर
एक पैगाम लिखा है, जिनके नाम लिखा है
उन तक पहुँचा देना, उन तक पहुँचा देना
मेरे मन की बात उन्हें तुम बतला देना
मैंने अपने गर्म लहू से वक़्त के बर्फ़ीले काग़ज़ पर
एक पैगाम लिखा है, एक पैगाम लिखा है
मेरी माँ से तुम ये कहना, बचपन में मुझसे तूने कहा था
"धरती माँ भी माँ होती है"
मैंने आज इस धरती माँ की लाज रखी है
मत रो, माँ, तू क्यूँ रोती है? क्यूँ रोती है? क्यूँ रोती है?
मैंने अपने गर्म लहू से वक़्त के बर्फ़ीले काग़ज़ पर
एक पैगाम लिखा है, एक पैगाम लिखा है
मेरे बाबा से तुम कहना, बचपन में मुझसे तुमने कहा था
"ऐसा कुछ मत करना के मैं शरमिंदा हूँ"
तुमने कहा था, "इतिहास हमसे कहता है
जो है बहादूर मर के भी ज़िंदा रहता है"
बात तुम्हारी मान ली मैंने, अपने वतन पर जान दी मैंने
देखो, बाबा, आज मैं मर के भी ज़िंदा हूँ
सौ-करोड़ इनसानों के एहसास में मैं ज़िंदा हूँ
हिंदोस्ताँ के मन में बसे विश्वास में मैं ज़िंदा हूँ
नौजवान चहरों में मैं हूँ, सरहद पर पहरों में मैं हूँ
तुम मेरा कोई ग़म ना करना, अपनी पलकों को ना नहीं करना
अपना गौरव कम ना करना, अपना गौरव कम ना करना
मैं ज़िंदा हूँ, मैं ज़िंदा हूँ, मैं ज़िंदा हूँ, मैं ज़िंदा हूँ
मैं ज़िंदा हूँ, मैं ज़िंदा हूँ, मैं ज़िंदा हूँ



Авторы: Javed Akhtar, Anu Malik


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