Sonu Nigam - Raat Kitni текст песни

Текст песни Raat Kitni - Sonu Nigam



रात कितनी दास्तानें कह रही है
एक नदी यादों की है, जो बह रही है
रात कितनी दास्तानें कह रही है
एक नदी यादों की है, जो बह रही है
मिलने आए हैं हम से बीते हुए लम्हे कल के
कितने पहचाने चेहरे तनहाई में हैं झलके
यूँ तो कोई है कहाँ, कोई कहाँ
यादें लेके आई हैं सब को यहाँ
रात कितनी दास्तानें कह रही है
एक नदी यादों की है, जो बह रही है
एक माथे पर दमकती एक बिंदी
एक आँचल जाने क्यूँ लहरा रहा है
घर के दरवाज़े पे सुंदर सी रंगोली
फिर कोई त्योहार मिलने रहा है
नन्हे-नन्हे पाँवों से चलता है कोई
उँगलियों से जप रहा है कोई माला
एक थाली, एक कलाई, एक राखी
एक मंदिर, एक दीपक, एक उजाला
रात कितनी दास्तानें कह रही है
एक नदी यादों की है, जो बह रही है
दोस्ती का हाथ है कंधे पे रखा
प्यार से दो आँखें छलकी जा रही हैं
धूप की है धज्जियाँ बाग़ों में बिखरी
पेड़ों में छुप के हवाएँ गा रही हैं
लंबी साँसें लेते हैं सावन के झूले
घाट पर आई प्यासी गगरियाँ हैं
नदिया किनारे है बंसी का लहरा
एक पगडंडी पे खनकी चूड़ियाँ हैं
रात कितनी दास्तानें कह रही है
एक नदी यादों की है, जो बह रही है
मिलने आए हैं हम से बीते हुए लम्हे कल के
कितने पहचाने चेहरे तनहाई में हैं झलके
यूँ तो कोई है कहाँ, कोई कहाँ
यादें लेके आई हैं सब को यहाँ
रात कितनी दास्तानें कह रही है
एक नदी यादों की है, जो बह रही है



Авторы: Javed Akhtar, Anu Malik


Sonu Nigam - Paltan
Альбом Paltan
дата релиза
28-08-2018




Внимание! Не стесняйтесь оставлять отзывы.