Текст песни Mard Maratha - Priyanka Barve , Padmanabh Gaikwad , Ajay-Atul , Swapnil Bandodkar , Kunal Ganjawala , Sudesh Bhosle
                                                हे, 
                                                बोले 
                                                धरती 
                                                जयकारा, 
                                                गगन 
                                                है 
                                                सारा 
                                                गूँजा 
                                                रे
 
                                    
                                
                                                जग 
                                                में 
                                                लहराया 
                                                न्यारा 
                                                ध्वज 
                                                है 
                                                हमारा 
                                                ऊँचा 
                                                रे
 
                                    
                                
                                                हम 
                                                वो 
                                                योद्धा, 
                                                वो 
                                                निडर, 
                                                हम 
                                                जो 
                                                भी 
                                                दिशा 
                                                में 
                                                जाएँ
 
                                    
                                
                                                सारे 
                                                पथ 
                                                चरण 
                                                छुएँ 
                                                और 
                                                पर्वत 
                                                सीस 
                                                नवाए
 
                                    
                                
                                                रास्ते 
                                                से 
                                                हट 
                                                जाएँ, 
                                                नदियाँ 
                                                हो 
                                                कि 
                                                हवाएँ
 
                                    
                                
                                                हम 
                                                हैं 
                                                जियाले, 
                                                जीतने 
                                                को 
                                                हम 
                                                रण 
                                                में 
                                                उतरते 
                                                हैं
 
                                    
                                
                                                हम 
                                                सूरज 
                                                हैं, 
                                                अंत 
                                                हमी 
                                                रातों 
                                                का 
                                                करते 
                                                हैं
 
                                    
                                
                                                युग-युग 
                                                की 
                                                ज़ंजीरों 
                                                को 
                                                हमने 
                                                ही 
                                                काटा 
                                                रे
 
                                    
                                
                                                बोल 
                                                उठा 
                                                ये 
                                                जग 
                                                सारा, 
                                                "जय 
                                                मर्द 
                                                मराठा 
                                                रे"
 
                                    
                                
                                                जो 
                                                रक्त 
                                                है 
                                                तन 
                                                में 
                                                बहता 
                                                (वो 
                                                हमसे 
                                                है 
                                                ये 
                                                कहता)
 
                                    
                                
                                                सनमान 
                                                के 
                                                बदले 
                                                जान 
                                                भी 
                                                दें 
                                                तो 
                                                नहीं 
                                                है 
                                                घाटा 
                                                रे
 
                                    
                                
                                                युग-युग 
                                                की 
                                                ज़ंजीरों 
                                                को 
                                                हमने 
                                                ही 
                                                काटा 
                                                रे
 
                                    
                                
                                                बोल 
                                                उठा 
                                                ये 
                                                जग 
                                                सारा, 
                                                "जय 
                                                मर्द 
                                                मराठा 
                                                रे"
 
                                    
                                
                                                युग-युग 
                                                की 
                                                ज़ंजीरों 
                                                को 
                                                हमने 
                                                ही 
                                                काटा 
                                                रे
 
                                    
                                
                                                बोल 
                                                उठा 
                                                ये 
                                                जग 
                                                सारा, 
                                                "जय 
                                                मर्द 
                                                मराठा 
                                                रे"
 
                                    
                                
                                                वीरता 
                                                हमने 
                                                बोई 
                                                और 
                                                ये 
                                                फल 
                                                पाया
 
                                    
                                
                                                दूर 
                                                तक 
                                                अब 
                                                है 
                                                फैली 
                                                अपनी 
                                                ही 
                                                छाया
 
                                    
                                
                                                हो, 
                                                जीवन 
                                                जो 
                                                रणभूमि 
                                                में 
                                                करता 
                                                है 
                                                तांडव
 
                                    
                                
                                                आज 
                                                उसी 
                                                ने 
                                                है 
                                                विजय 
                                                का 
                                                नगाड़ा 
                                                बजाया
 
                                    
                                
                                                अपनी 
                                                है 
                                                जो 
                                                गाथा, 
                                                अब 
                                                है 
                                                समय 
                                                सुनाता
 
                                    
                                
                                                सब 
                                                को 
                                                है 
                                                ये 
                                                बताता, 
                                                कैसे 
                                                सुख 
                                                हमने 
                                                बाँटा 
                                                रे
 
                                    
                                
                                                युग-युग 
                                                की 
                                                ज़ंजीरों 
                                                को 
                                                हमने 
                                                ही 
                                                काटा 
                                                रे
 
                                    
                                
                                                बोल 
                                                उठा 
                                                ये 
                                                जग 
                                                सारा, 
                                                "जय 
                                                मर्द 
                                                मराठा 
                                                रे"
 
                                    
                                
                                                युग-युग 
                                                की 
                                                ज़ंजीरों 
                                                को 
                                                हमने 
                                                ही 
                                                काटा 
                                                रे
 
                                    
                                
                                                बोल 
                                                उठा 
                                                ये 
                                                जग 
                                                सारा, 
                                                "जय 
                                                मर्द 
                                                मराठा 
                                                रे"
 
                                    
                                
                                                सच 
                                                के 
                                                सिपाही, 
                                                अलबेले 
                                                राही, 
                                                क्या 
                                                जानते 
                                                हो 
                                                तुम?
 
                                    
                                
                                                जब 
                                                तुम 
                                                नहीं 
                                                थे, 
                                                हम 
                                                कब 
                                                यहीं 
                                                थे, 
                                                हम 
                                                भी 
                                                थे 
                                                जैसे 
                                                ग़ुम
 
                                    
                                
                                                तुम 
                                                ध्यान 
                                                में 
                                                थे, 
                                                तुम 
                                                प्राण 
                                                में 
                                                थे 
                                                जैसे 
                                                जनम-जनम
 
                                    
                                
                                                जब 
                                                तीर 
                                                तुम 
                                                पे 
                                                बरसे 
                                                तो 
                                                जैसे 
                                                घायल 
                                                हुए 
                                                थे 
                                                हम
 
                                    
                                
                                                ओ, 
                                                देखो 
                                                तो 
                                                मुझसे 
                                                कह 
                                                के, 
                                                मैं 
                                                जान 
                                                दे 
                                                दूँ 
                                                तुम 
                                                पे
 
                                    
                                
                                                क्या 
                                                तुम 
                                                नहीं 
                                                ये 
                                                जानते?
 
                                    
                                
                                                दुविधा 
                                                के 
                                                आगे 
                                                जब 
                                                नारी 
                                                जागे, 
                                                हिम्मत 
                                                से 
                                                काम 
                                                ले
 
                                    
                                
                                                चूड़ी 
                                                उतारे, 
                                                कंगन 
                                                उतारे, 
                                                तलवार 
                                                थाम 
                                                ले
 
                                    
                                
                                                मैंने 
                                                ली 
                                                आज 
                                                शपथ 
                                                है, 
                                                वीरों 
                                                का 
                                                पथ 
                                                है 
                                                मेरा 
                                                रे
 
                                    
                                
                                                लक्ष्य 
                                                अपना 
                                                जो 
                                                बना 
                                                लूँ, 
                                                वहीं 
                                                पे 
                                                डालूँ 
                                                डेरा 
                                                रे
 
                                    
                                
                                                हम 
                                                वो 
                                                योद्धा, 
                                                वो 
                                                निडर, 
                                                हम 
                                                जो 
                                                भी 
                                                दिशा 
                                                में 
                                                जाएँ
 
                                    
                                
                                                सारे 
                                                पथ 
                                                चरण 
                                                छुएँ 
                                                और 
                                                पर्वत 
                                                सीस 
                                                नवाए
 
                                    
                                
                                                रास्ते 
                                                से 
                                                हट 
                                                जाएँ, 
                                                नदियाँ 
                                                हो 
                                                कि 
                                                हवाएँ
 
                                    
                                
                                                हम 
                                                हैं 
                                                जियाले, 
                                                जीतने 
                                                को 
                                                हम 
                                                रण 
                                                में 
                                                उतरते 
                                                हैं
 
                                    
                                
                                                हम 
                                                सूरज 
                                                हैं, 
                                                अंत 
                                                हमी 
                                                रातों 
                                                का 
                                                करते 
                                                हैं
 
                                    
                                
                                                युग-युग 
                                                की 
                                                ज़ंजीरों 
                                                को 
                                                हमने 
                                                ही 
                                                काटा 
                                                रे
 
                                    
                                
                                                बोल 
                                                उठा 
                                                ये 
                                                जग 
                                                सारा, 
                                                "जय 
                                                मर्द 
                                                मराठा 
                                                रे"
 
                                    
                                
                                                जो 
                                                रक्त 
                                                है 
                                                तन 
                                                में 
                                                बहता, 
                                                वो 
                                                हमसे 
                                                है 
                                                ये 
                                                कहता
 
                                    
                                
                                                सनमान 
                                                के 
                                                बदले 
                                                जान 
                                                भी 
                                                दें 
                                                तो 
                                                नहीं 
                                                है 
                                                घाटा 
                                                रे
 
                                    
                                
                                                युग-युग 
                                                की 
                                                ज़ंजीरों 
                                                को 
                                                हमने 
                                                ही 
                                                काटा 
                                                रे
 
                                    
                                
                                                बोल 
                                                उठा 
                                                ये 
                                                जग 
                                                सारा, 
                                                "जय 
                                                मर्द 
                                                मराठा 
                                                रे"
 
                                    
                                
                                                युग-युग 
                                                की 
                                                ज़ंजीरों 
                                                को 
                                                हमने 
                                                ही 
                                                काटा 
                                                रे
 
                                    
                                
                                                बोल 
                                                उठा 
                                                ये 
                                                जग 
                                                सारा, 
                                                "जय 
                                                मर्द 
                                                मराठा 
                                                रे"
 
                                    
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