Текст песни Man Re Tu Kahe Na (Chitralekha) - M. Rafi
मन रे तू काहे न धीर धरे
ओ निर्मोही मोह न जाने किनका मोह करे
मन रे तू काहे न धीर धरे
विमल
इस जीवन की चढ़ती ढलती धूप को किसने बांधा
रंग पे किसने पहरे डाले रूप को किसने बांधा
काहे ये जतन करे
मन रे तू काहे न धीर धरे
विमल
उतना ही उपकार समझ कोल जितना साथ निभा दे
जन्म मरण का मेल है अपना
ये सपना बिसरा दे
कोई न संग मरे
मन रे तू काहे न धीर धरे
ओ निर्मोही मोह न जाने किनका मोह करे
मन रे तू काहे न धीर धरे
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