Текст песни Shuru Karein Kya (From "Article 15") - Various Artist
बातें
बहुत
हुई
काम
शुरू
करें
क्या
कल
क्या
करेगा
आज
शुरू
करें
क्या
ये
देश
अपने
हाथ
कुछ
बातों
से
होगा
ना
तू
खुद
ही
है
नायक
तो
शुरू
करें
क्या
बातें
बहुत
हुई
काम
शुरू
करें
क्या
कल
क्या
करेगा
आज
शुरू
करें
क्या
ये
देश
अपने
हाथ
कुछ
बातों
से
होगा
ना
तू
खुद
ही
है
नायक
तो
शुरू
करें
क्या
शुरुआत
से
ही
सीखते
गलत
है
गरम
है
हम
सब
पे
पर
खुद
में
जो
दम
है
वो
कम
है
क्या
तेरे
अन्दर
की
ज़मीर
आज
नम
है
क्या
दूसरों
पे
भौके
तुझे
खुद
पे
शर्म
है
क्या
गरीबों
पे
अत्याचार
बच्चियों
का
बलात्कार
ना
रुकेगा
ना
तो
ना
होगा
ऐसा
कोई
चमत्कार
ऊँगली
उठाते
पर
आवाज
तो
उठाओ
नोट
सब
छापे
साले
इज्ज़त
कमाओ
बत्ती
तुम
जलाते
खाली
कदम
बढ़ाते
अपने
अन्दर
के
अँधेरे
में
वो
बत्ती
को
जलाओ
आफ़ताब
सी
उड़ान
क्यूँ
समाज
बना
चिलमन
सा
लूटकर
कर
जो
लथपथ
तू
पूछता
है
जात
उनका
तरकश
में
मज़हब
ये
जब
तक
तराजू
के
पीढ़ी
की
मौत
होगी
घर्षण
करे
शंका
हाँ
ऐनक
अवाम
का
है
साफ
नहीं
देवी
हाँ
सड़कों
पे
डर
के
क्यूँ
काँप
रही
सांप
बनी
छाती
पे
दहशत
धरम
की
तू
खुद
है
मसीहा
ये
आँखें
क्यूँ
नम
सी
सांप
बनी
छाती
पे
दहशत
धरम
की
तू
खुद
है
मसीहा
ये
आँखें
क्यूँ
नम
सी
बातें
बहुत
हुई
काम
शुरू
करें
क्या
कल
क्या
करेगा
आज
शुरू
करें
क्या
ये
देश
अपने
हाथ
कुछ
बातों
से
होगा
ना
तू
खुद
ही
है
नायक
तो
शुरू
करें
क्या
बातें
बहुत
हुई
काम
शुरू
करें
क्या
कल
क्या
करेगा
आज
शुरू
करें
क्या
ये
देश
अपने
हाथ
कुछ
बातों
से
होगा
ना
तू
खुद
ही
है
नायक
तो
शुरू
करें
क्या
तू
भाई
मुस्लमान
का
तो
काई
को
लड़ते
जात
पे
इंसानियत
है
गुमशुदा
और
psycho
हम
हालात
से
और
अपने
लोगो
को
तो
चाहिए
जाती
का
वार
हाथी
का
दाँत
तू
बोल
मुझको
किधर
गायब
इन्साफ
तभी
तो
मिलेगा
जभी
तू
अपने
हक
को
बोलना
शुरू
करेगा
सच
को
खोलना
सब
के
बारे
में
सोचना
अब
तू
नहीं
डरेगा
अमीर
के
थाली
में
रोटी
है
चार
फ़कीर
नहीं
है
मिला
प्रसाद
सब
ठीक
है
तेरा
तो
बढ़ा
व्यापार
कमजोर
पे
ऐसे
ना
डाल
दबाव
चलो
शुरू
से
करें
हाल
क्यूँ
बेहाल
है
ऐसे
तो
आजादी
को
हुवे
सत्तर
साल
हैं
हम
आज़ाद
ना
फिर
भी
कभी
सुनते
ना
खुद
की
घर
बैठे
सोचेंगे
मसले
की
तरकीब
कदम
ले
आगे
तो
पीछे
ये
खींचे
तू
ज्यादा
सच
उगले
तो
धरती
के
नीचे
अब
नीचे
ही
रहना
हिम्मत
से
सहना
वो
मारे
वो
पीटे
तू
कुछ
भी
ना
कहना
हर
जाती
से
छोटी
यहाँ
औरत
की
जात
दे
दे
जीवन
की
डोर
किसी
और
के
हाथ
यहाँ
प्राण
जाए
पर
मान
ना
जाए
दौलत
की
लालच
हड़पती
दुआएं
बातें
बहुत
हुई
काम
शुरू
करें
क्या
कल
क्या
करेगा
आज
शुरू
करें
क्या
ये
देश
अपने
हाथ
कुछ
बातों
से
होगा
ना
तू
खुद
ही
है
नायक
तो
शुरू
करें
क्या
बातें
बहुत
हुई
काम
शुरू
करें
क्या
कल
क्या
करेगा
आज
शुरू
करें
क्या
ये
देश
अपने
हाथ
कुछ
बातों
से
होगा
ना
तू
खुद
ही
है
नायक
तो
शुरू
करें
क्या
बातें
बहुत
हुई
काम
शुरू
करें
क्या
कल
क्या
करेगा
आज
शुरू
करें
क्या
ये
देश
अपने
हाथ
कुछ
बातों
से
होगा
ना
तू
खुद
ही
है
नायक
तो
शुरू
करें
क्या
बातें
बहुत
हुई
काम
शुरू
करें
क्या
कल
क्या
करेगा
आज
शुरू
करें
क्या
ये
देश
अपने
हाथ
कुछ
बातों
से
होगा
ना
तू
खुद
ही
है
नायक
तो
शुरू
करें
क्या...(शुरू
करें
क्या)(शुरू
करें
क्या)(शुरू
करें
क्या)(शुरू
करें
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